कुलपति ने योग प्रशिक्षण के नवीन केन्द्र का उद्घाटन किया*—
*”योग” शब्द संस्कृत मूल “युज” से आया है जिसका अर्थ है “एकजुट होना” या “जुड़ना*– कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा.
वाराणसी।योग एक शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक अभ्यास है जिसकी शुरुआत 5,000 साल पहले प्राचीन भारत में हुई थी। “योग” शब्द संस्कृत मूल “युज” से आया है जिसका अर्थ है “एकजुट होना” या “जुड़ना।” योग एक समग्र अभ्यास है जिसका उद्देश्य शरीर, मन और आत्मा को एकजुट करना है, समग्र कल्याण और आत्म-जागरूकता को बढ़ावा देना है।
उक्त विचार सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने बतौर अध्यक्षीय उद्बोधन में आज सांख्ययोगतन्त्रागम विभाग द्वारा संचालित योग पाठ्यक्रम
बी.ए. इन योग, एम.ए इम योग, पी. जी. डिप्लोमा इन योग तथा उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ द्वारा संचालित निःशुल्क योग प्रशिक्षण के नवीन केन्द्र का उद्घाटन करते हुए व्यक्त किया।
*रोजगार और सेवाभाव का पाठ्यक्रम*–
कुलपति प्रो शर्मा ने कहा कि योग पाठ्यक्रम से विद्यार्थियों को रोजगार के साथ-साथ जनजागरण और सेवाभाव की शिक्षा प्राप्त होगी।समाज को स्वस्थ रखने और लोगों से जुड़ने का भी लाभ मिलेगा।
*योग जोड़ने का विज्ञान*–
वेदांत के वरिष्ठ आचार्य प्रो रामकिशोर त्रिपाठी ने कहा कि योग स्वस्थ और सुदृढ़ जीवन जीने का विज्ञान और कला है। ‘योग’ शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द ‘युज’ से हुई है, जिसका अर्थ है ‘जोड़ना’ या ‘जोड़ना’ या ‘एकजुट होना’।
*योग सूक्ष्म विज्ञान पर आधारित है*–
वेद वेदांग संकाय के अध्यक्ष प्रो अमित कुमार शुक्ल ने कहा कि
योग मूल रूप से एक आध्यात्मिक अनुशासन है जो अत्यंत सूक्ष्म विज्ञान पर आधारित है जो मन और शरीर के बीच सामंजस्य लाने पर ध्यान केंद्रित करता है।
उद्घाटन कार्यक्रम के प्रारम्भ में वैदिक, पौराणिक मंगलाचरण तथा मंच आसीन अतिथियों ने दीप प्रज्वलन एवं माँ सरस्वती के प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।
*स्वागत और अभिनंदन*–
मंच आसीन अतिथियों का अंग वस्त्र एवं माल्यार्पण कर स्वागत और अभिनंदन किया।
*संचालन*-
सांख्ययोगतन्त्रागम विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो राघवेंद्र जी दुबे ने कार्यक्रम का संचालन एवं स्वागत किया।