चालकों- परिचालकों का रोडवेज से मोहभंग

वाराणसी। रोडवेज में कम और निजी बसों में अधिक पैसा मिलने के कारण चालक और परिचालकों का रोडवेज से मोहभंग हो रहा है। वाराणसी परिक्षेत्र में 540 बसों के लिए अभी भी 250 चालक और 280 परिचालकों की कमी है।
वाराणसी परिक्षेत्र के सभी आठ डिपो के आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले छह माह में 150 से अधिक चालक और 123 परिचालकों ने नौकरी छोड़ दी है। कार्यालय के बाबू की ओर से उन्हें कॉल किया जाता है तो वह नौकरी से साफ इन्कार कर देते हैं। इसमें ग्रामीण डिपो, कैंट, काशी, चंदौली, विंध्यनगर, जौनपुर, गाजीपुर, सोनभद्र के चालक और परिचालक शामिल हैं।
वाराणसी परिक्षेत्र के आठ डिपो को मिलाकर हर माह 10 से 15 चालक और परिचालक रोडवेज की आउटसोर्सिंग और संविदा की सेवा को नकार रहे हैं। रोडवेज में संविदा पर भर्ती होने के बाद चालक और परिचालक को प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षण के दौरान रोडवेज सभी सुविधाएं भी मुहैया कराता है।
संविदा पर 1.75 पैसे और निजी में 5 रुपये प्रति किमी भुगतान
रोडवेज की ओर से संविदा के चालक और परिचालक को 1.75 पैसे प्रति किलोमीटर के दर से भुगतान होता है। मगर, डिपो में आने के बाद बस देरी से मिलना और फिर रास्ते में ब्रेकडाउन के दौरान होने वाली असुविधाओं के चलते ये नौकरी छोड़ना ही मुनासिब समझते हैं।
चालकों के अनुसार सुबह डिपो में आए तो फिर शाम को बस की स्टेयरिंग थामनी पड़ती है। जितना किमी चलेंगे, उतना वेतन बनता है। लंबी रूट की बसें जल्दी मिलती नहीं है।
वहीं, एक समस्या यह भी है कि यदि शाम को गोरखपुर रूट पर गए और दोहरीघाट के पास बस खराब हो गई तो फिर बस छोड़कर हटना नहीं है। ऐसे में एक से दो दिन का समय लगना तय होता है। बाहर में ट्रक या निजी बस चलाने पर चार से पांच रुपये प्रति किमी पैसा मिलता है। ऐसे में वह ज्यादा अच्छा समझ में आता है।
आउटसोर्सिंग पर परिचालक, एक-दो माह बाद ही करते हैं पलायन
रोडवेज में आउटसोर्सिंग पर परिचालक एक-दो माह बाद ही पलायन कर हैं संविदा पर 1.75 पैसे और निजी में 5 रुपये प्रति किमी भुगतान मिलने से यह बदलाव माना जा रहा है।