भारतीय संस्कृति के गौरव का बोध कराएगा शास्त्रीय तिथि–पत्र
वाराणसी। श्रीकाशी विद्वत परिषद द्वारा निर्मित शास्त्रीय तिथि पत्र नामक पंचांग तिथि–पत्र (कैलेण्डर) का लोकार्पण परिषद के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रोफेसर रामचंद्र पाण्डेय जी की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। जिसमें विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी सहित परिषद के ज्योतिष प्रकोष्ठ के प्रो. चंद्रमौली उपाध्याय प्रो. विनय कुमार पाण्डेय, श्री अमित कुमार मिश्र, अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानन्द जी सहित अनेक लोग ज्योतिर्विद एवं छात्र उपस्थित रहे।
इस शास्त्रीय तिथि पत्र की यह विशेषता है कि इसे पूर्णरूप से पारंपरिक ज्योतिष शास्त्र की सूक्ष्मतम गणना पर आधारित कर विशेष सरलतम रूप में बनाया गया है जिससे कि सामान्य लोग भी सरलता पूर्वक इसे देख सके, इसके साथ ही यह कैलेंडर की यह भी विशेषता है कि इसमें मास की गणना जनवरी-फरवरी इत्यादि से न होकर चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़ इत्यादि भारतीय मासों के आधार पर किया गया है। अतः यह कैलेंडर संवत् 2081के चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से आरंभ होकर चैत्र कृष्ण अमावस्या तक के तिथि वार नक्षत्र योग करण एवं इन दिनों के अंग्रेजी दिनांको को सूचित करेगा साथ ही इसमें सामान्य जन की सरलता के लिए प्रत्येक पक्ष में भद्रा की स्थिति मूल की स्थिति, पंचक सहित प्रत्येक पक्ष के व्रत पर्वों को भी धर्मशास्त्रीय आधारित निर्णय द्वारा निरूपित किया गया है। इस पंचांग में प्रत्येक पक्ष के प्रत्येक तिथियां में होने वाले विशेष कृत्यों को भी शास्त्र के अनुसार निरूपित किया गया है तथा इसके साथ ही मुंडन, कर्णवेध, यज्ञोपवीत, विवाह, द्विरागमन, वधुप्रवेश, प्रसूता स्नान, व्यापारारंभ, गृहारंभ, गृह प्रवेश, यात्रा, विपणि आदि मुहूर्त का तथा राशिफलों का विस्तार पूर्वक निरूपण किया गया है।
काशी विद्वत परिषद के सभी पदाधिकारीयों ने इसकी विशेषता को बताते हुए यह पक्ष रखा कि भारतीय चैत्रादि गणना क्रम से संपादित यह कैलेंडर निश्चित ही भारतीय काल गणना पद्धति की विशेषता को निरूपित करता हुआ जन सामान्य के लिए उपयोगी एवं लाभदायक सिद्ध होगा। तथा भारतीय संस्कृति के गौरव का बोध भी कराएगा। श्रीकाशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष पद्मभूषण प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी ने कहा कि शास्त्र शुद्ध एवं सरल रूप में जन सामान्य के लिए निर्मित यह तिथि पत्र समाज के लिए निश्चित ही उपयोगी सिद्ध होगा ।