अपना अस्तित्व खो चुकीअसि नदी
अपना अस्तित्व खो चुकीअसि नदी ! वाराणसी। शहर की असि नदी अपना अस्तित्व खो चुकी है। सिस्टम भी दस्तावेजों में नाला बना चुका है। अब उस नाले पर भी कब्जे हैं। सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक 800 से अधिक कब्जे हैं, जबकि छोटे-बड़े करीब दो हजार से अधिक कब्जे होंगे।हाईकोर्ट इसके पुनर्स्थापित करने के आदेश दे चुका है। एनजीटी भी कई बार कब्जे हटाने और उसे वापस नदी के स्वरूप में लाने के आदेश दे चुका है।
अफसर भी हर महीने बैठक कर एनजीटी के नियमों के पालन करने की दुहाई देते हैं मगर यह सबकुछ सिस्टम की बेपरवाही की भेंट चढ़ चुका है। अब इस पर एनजीटी ने सख्त रुख अपना लिया है। 17 फरवरी 2023 को हाईकोर्ट ने असि नदी से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया। यह भी कहा गया कि इसे पुनर्स्थापित करें। इसी तरह एनजीटी ने भी नवंबर 2021 में आदेश दिया कि इसे कब्जा मुक्त कराया जाए।
इसके बाद प्रशासन ने कब्जा मुक्त कराने की ठानी और पक्के कब्जों की गिनती की गई। वीडीए ने गिनती की तो करीब 800 पक्के निर्माण पाए गए और इसी तरह इतने ही कच्चे और अस्थायी कब्जे मिले। बैठकें हुई और कब्जे हटाने की कवायद शुरू की गई और कार्रवाई की तारीखें तय की गईं मगर हुआ कुछ भी नहीं।
पिछले महीने 25 जून को भी डीएम एस राजलिंगम की अध्यक्षता में असि नदी से कब्जे हटाने के संबंध में बैठक हुई। उन्होंने विभागों और अफसरों को निर्देश दिए कि असि नदी को कब्जा मुक्त कराया जाए मगर एक महीना बीतने के बाद भी उनके आदेश भी परवान नहीं चढ़ सके हैं। जिस तरह सिस्टम इसे आगे बढ़ा रहा है तो उसे देखते हुए नहीं लगता है कि असि नदी भविष्य में कभी भी अपने मूल रूप में लौट भी पाएगी। आठ किलोमीटर लंबी यह नदी चितईपुर, करौंदी, कर्माजीतपुर, नेवादा, सराय नंदन, नरिया, साकेत नगर, भदैनी और नगवा होते हुए गंगा में जाकर मिलती है।
ट्रिब्यूनल कर रहा निगरानी
नगर निगम को जारी नोटिस में कहा गया कि गंगा नदी में सीवर, घरेलू गंदा पानी और औद्योगिक कचरा नालों से गंगा नदी में गिराने की निगरानी ट्रिब्यूनल कर रहा है। इसके लिए कुछ लोकेशन एनजीटी ने तय कराई हैं। इसमें सामने घाट पर सनबीम स्कूल, रविदास पार्क नगवा, संकट मोचन नाला, सराय नंदन और टेंगरा मोड रामनगर शामिल है।
हर बार विरोध और वापस लौटती टीमें
असि नदी पर बड़े-बड़े मकान, कोठियां बन गई हैं। अस्पताल तैयार हो गए हैं, होटल बने हुए हैं। इनके मानचित्र भी पास नहीं है। जाहिर सी बात है कि जिम्मेदार विभागों की मिलीभगत के बिना तो यह संभव हुआ नहीं है। इसीलिए कार्रवाई में भी कहीं चाहरदीवारी गिरा देना कोई टिन शेड गिरा देना इस तरह की कार्रवाई के वीडियो और फोटो भेजकर विभाग भी कोरम पूरा कर लेते हैं। यहां प्रभावी कार्रवाई कभी नहीं हुई।
दुष्यंत कुमार, अपर नगर आयुक्तके अनुसार
लोकसभा चुनाव से पूर्व कार्रवाई शुरू की गई थी और आठ अवैध निर्माणों को ढहाया गया था। इसी बीच चुनाव की अधिसूचना जारी हो गई तो कार्रवाई रुक गई थी। टीमें बना दी गईं हैं। जल्द ही असि नदी पर व्यापक अभियान चलाकर कब्जे हटाए जाएंगे। –