कोई भी व्यक्ति अकेले बैठकर मानस के भावों को पढ़ व समझ सकता है: इंद्रेश
कोई भी व्यक्ति अकेले बैठकर मानस के भावों को पढ़ व समझ सकता है: इंद्रेश
रामेश्वरम।श्री शिव राम मिलन महोत्सव के तहत श्री रामेश्वरमधाम क्षेत्र अन्तर्गत गोस्वामी मठ के भव्य सभागार में आज वाराणसी निवासी समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता श्री Awadhesh Pathak के सौजन्य से आयोजित शिव और राम का मिलन महोत्सव आज सायं शुरू हुआ। व्यासपीठ पर विराजमान युवा सन्त श्री इंद्रेश जी महाराज का पाठक परिवार ने विधिवत पूजन किया। आरती उतारा और फिर सन्त श्री इंद्रेश जी ने आज प्रथम दिन की कथा का शुभारम्भ किया। उन्होंने गत वर्ष श्री सोमनाथ महादेव प्रभाष पाटन क्षेत्र में अवधेश जी के सौजन्य से आयोजित अपने प्रथम राम कथा प्रवचन का स्मरण करते हुए वहां हुए कथा की विषय वस्तु के बारे में बताया कि वहां धर्म के दस लक्षणों पर विस्तृत चर्चा हुई थी। यहां मानस के बालकाण्ड पर विस्तृत चर्चा होगी।
उन्होंने कथा आयोजन के समय को अत्यन्त महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि वर्ष के अन्त में सप्ताहव्यापी कथा का श्रवण करने व वर्ष के प्रारम्भ में रामेश्वर तीर्थ क्षेत्र में रहना किसी भी व्यक्ति के लिए अत्यन्त पुण्य फलदायी है श्रोताओं के लिए। उन्होंने मानस की चर्चा करते हुए कहा कि मानस के गुरू गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज ही हैं। कहा कि मानस इतना सरल है कि कोई भी व्यक्ति अकेले बैठकर भी मानस के भावों को पढ़ व समझ सकता है। आज उन्होंने केवल श्री रामेश्वरम महादेव की महिमा पर प्रकाश डाला। कहाकि महादेव समस्त पंथों के उपासना विधियों के सृजन कर्ता हैं। महादेव ने सबको दिया है। महादेव की कृपा सभी को प्राप्त होती है। सब महादेव की कृपा से हो रहा है। सोमनाथ महादेव को अपना गुरू बताते हुए कहा कि प्रभाष पाटन क्षेत्र में प्रथम बार उन्हे राम कथा कहने का सौभाग्य मिला। अन्यथा वे भागवत कथा के वक्ता हैं। उन्होंने काशी के पाठक परिवार के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आपके संकल्प से दो ज्योतिर्लिंग धाम क्षेत्र में रामकथा कहने का अवसर प्राप्त होना हमारे जीवन में अति महत्वपूर्ण घटना है। आज महाराज श्री ने श्री रामेश्वरम धाम की महिमा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि…….
जे रामेस्वर दरसनु करिहहिं।
ते तनु तजि मम लोक सिधरिहहिं।।
जो गंगाजलु आनि चढ़ाइहि।
सो साजुज्य मुक्ति नर पाइहि।।
अन्त में श्री अवधेश पाठक ने परिजनों सहित श्री रामायण जी की आरती उतारा। प्रसाद वितरण हुआ। और इस प्रकार सप्त दिवसीय श्रीराम कथा के प्रथम दिवस का आयोजन सम्पन्न हुआ।