क्या राजपूत मतदाताओं के विरोध के बीच भाजपा प्रत्याशी डाक्टर महेन्द्र नाथ पाण्डेय लगा पायेंगे हैट्रिक ?
प्रचंड लू के थपेड़े भी भाजपा मतों को कर सकते हैं प्रभावित
तारकेश्वर सिंह
चंदौली। वर्ष 2024 में हो रहे लोकसभा चुनाव में पश्चिम उत्तर प्रदेश व गुजरात, राजस्थान में भाजपा के प्रति राजपूतों के बढ़ रहे आक्रोश का असर चंदौली सहित पूर्वांचल की सीटों पर 1जून को सातवें चरण में होने वाले चुनाव में भी पड़ सकता है। वैसे मौसम भी मतदान पर असर डाल रहा है। चंदौली संसदीय सीट पर भाजपा उम्मीदवार के प्रति राजपूतों के विरोध का असर साफ दिख रहा है। इस विरोध को भुनाने में सपा प्रत्याशी विरेन्द्र सिंह कोई कोर कसर नहीं बाकी रख रहे हैं। जहां तक चंदौली संसदीय सीट के इतिहास कि बात है तो चंदौली संसदीय क्षेत्र का गठन 1952 के संसदीय चुनाव के समय ही हुआ था। वैसे चंदौली को धान का कटोरा भी कहा जाता है। यहां अच्छे किस्म के चावल की पैदावार बहुतायत मात्रा में होती है। वाराणसी से सटे होने के कारण चंदौली सीट की महत्ता काफी बढ़ जाती है। यहां पंडित दीन दयाल जंक्शन भी है। जिसे पहले मुगलसराय के नाम से जाना जाता था। यदि इस सीट के संसदीय इतिहास पर नजर डाली जाये तो यहां के पहले सांसद त्रिभुवन नारायण सिंह थे।त्रिभुवन नारायण 1952 व 1957 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीत कर संसद पहुंचे थे। 1959 में संसोपा के प्रभु नारायण सिंह व 1962 में कांग्रेस के बालकृष्ण सिंह सांसद बने थे। 1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के निहाल सांसद बने, 1971 में कांग्रेस के सुधाकर पांडेय यहां से चुनाव जीत कर संसद पहुंचे। 1977 में भारतीय लोकदल के नरसिंह यादव चुनाव जीते। 1980 के चुनाव में निहाल सिंह जनता पार्टी से चुनाव जीत कर संसद पहुंचे। 1984 के चुनाव में कांग्रेस की चंदा त्रिपाठी चुनाव जीती। 1989 के चुनाव में जनता दल के कैलाश नाथ सिंह यादव चुनाव जीते। फिर 1991,1996 व 1998 के चुनाव में लगातार भाजपा के आनंद रतन मौर्य ने सांसद बनकर हैट्रिक लगाया। 1999 के चुनाव में सपा के जवाहरलाल जायसवाल चुनाव जीते। 2004 के चुनाव में बसपा के कैलाश नाथ सिंह यादव चुनाव जीत कर संसद पहुंचे। 2009 के चुनाव में सपा से रामकिशुन ने चुनाव जीता और 2014 में भाजपा के महेंद्र नाथ पांडेय चुनाव जीत कर संसद पहुंचे। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा के महेंद्र नाथ पांडेय एक बार फिर चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। डाक्टर पांडेय इस बार भी भाजपा के टिकट पर हैट्रिक लगाने के लिए मैदान में हैं।
*चंदौली लोकसभा सीट के अंतर्गत 5 विधानसभा सीटें आती हैं*
चंदौली लोकसभा सीट के अंतर्गत 5 विधानसभा सीटें आती हैं इनमें मुगलसराय, सकलडीहा, सैयदराजा, अजगरा, शिवपुर विधानसभा सीट शामिल हैं। अजगरा और शिवपुर विधानसभा वाराणसी जिले में आती है। वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में चंदौली सीट पर कुल वोटरों की संख्या 17 लाख 19 हज़ार 383 थी। जिनमें पुरूष मतदाताओं की संख्या 9 लाख 35 हज़ार 486 थी। जबकि महिला वोटरों की संख्या 7 लाख 83 हजार 797 थी। वहीं ट्रांसजेंडर वोटरों की संख्या100 थी। अगर 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के आंकड़ों पर नजर डालें तो भाजपा के महेंद्र नाथ पांडे दूसरी बार यहां से चुनाव जीत कर सांसद बने थे। उन्हें कुल 5 लाख 10 हजार 733 वोट मिले थे तो वहीं सपा के संजय सिंह चौहान 4 लाख 96 हजार 774 वोट के साथ दूसरे नंबर पर रहे थे। तीसरे नंबर पर सुभासपा के राम गोविंद रहे थे, जिन्हें सिर्फ 18 हजार 985 वोट मिले थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा चुनाव जीती। उस चुनाव में भाजपा के डाक्टर महेंद्र नाथ पांडेय सांसद बने। महेंद्र नाथ पांडेय को इस चुनाव में 4 लाख 14 हज़ार 135 वोट मिले थे। वहीं दूसरे नंबर पर बसपा के अनिल कुमार मौर्य रहे। अनिल को कुल 2 लाख 57 हज़ार 379 वोट मिले। तीसरे नंबर पर सपा के रामकिशन रहे। रामकिशुन को कुल 2 लाख 4 हज़ार 145 वोट मिले थे। 2009 के लोकसभा चुनाव में सपा के रामकिशन यहां से सांसद चुने गए थे। रामकिशुन को कुल 1 लाख 80 हज़ार 114 वोट मिले। दूसरे नंबर पर बसपा के कैलाश नाथ सिंह यादव रहे। कैलाश नाथ को कुल 1 लाख 79 हज़ार 655 वोट मिले। तीसरे नंबर पर कांग्रेस के शैलेंद्र कुमार रहे शैलेंद्र को कुल 97 हज़ार 377 वोट मिले।। 2004 के लोकसभा चुनाव में के कैलाश नाथ सिंह यहां से चुनाव जीत कर संसद पहुंचे। कैलाश नाथ सिंह को कुल 2 लाख 4 हज़ार 625 वोट मिले, दूसरे नंबर पर सपा के आनंद रतन मौर्य रहे। आनंद रतन को कुल 2 लाख 2 हज़ार 956 वोट मिले, तीसरे नंबर पर बीजेपी के शशिकांत राजभर रहे। शशिकांत को कुल 1 लाख 81 हज़ार 815 वोट मिले।
*चंदौली संसदीय सीट का जातीय समीकरण*
2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए एक बार फिर से महेंद्र नाथ पांडेय मोर्चा संभालते नजर आएंगे। महेंद्र नाथ पांडेय का सामना सपा के वीरेंद्र सिंह से होना है तो वहीं बसपा ने भी यहां से अपने प्रत्याशी की घोषणा कर दी है। बसपा ने चंदौली लोकसभा सीट से सत्येंद्र मौर्य को मौका दिया है। चंदौली की जातीय समीकरण की बात करें तो इस सीट पर सबसे ज्यादा संख्या यादवों की है। जो यहां की राजनीति में एक निर्णायक किरदार अदा करते है। यादवों के बाद दलित बिरादरी है। जिनकी संख्या करीब दो लाख साठ हज़ार के आसपास है। देखना दिलचस्प होगा कि क्या भाजपा के महेंद्र नाथ पांडे जीत की हैट्रिक लगा पाएंगे ? या चंदौली की जनता इस बार विपक्ष को मौका देती है।