संकट मोचन संगीत समारोह :  अनूप जलोटा के भजनों पर झूमे श्रोता, गूंजता रहा राम-राम व हर-हर महादेव का उद्घोष

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वाराणसी। संकट मोचन संगीत समारोह में दिग्गज कलाकारों ने केसरी नंदन के चरणों में अपनी प्रस्तुतियां अर्पित कीं। भजन गायक अनूप जलोटा ने अपने भजनों की प्रस्तुतियों से समा बांध दिया। पांचवीं प्रस्तुति देने मंच पर पहुंचे अनूप जलोटा का स्वागत श्रोताओं ने हर-हर महादेव के उद्घोष के साथ किया।

अनूप जलोटा ने गायन की शुरुआत काशी  बदली, अयोध्या  बदली अब मथुरा की बारी है… से की। इसके बाद जय बजरंग बली बोलो जय बजरंग बली… के बाद मेरे मन में राम तन में राम रोम रोम में राम… सुनाया तो दर्शक दीर्घा भी राम-राम के साथ करतलध्वनि करने लगी। इसके बाद उन्होंने जनता की मांग पर ऐसी लागी लगन मीरा हो गई मगन… जब गुनगुनाना शुरू किया, तो जनता भी उनके साथ मगन हो उठी। पूरा प्रांगण उनके सुर में सुर मिलाने लगा।
भजन सम्राट अनूप जलोटा ने कहा कि संगीत कोई भी हो कभी खराब नहीं होता है। संगीत में सिर्फ सात सुर ही होती हैं कोई आठवां सुर नहीं होता है। खराब होती है तो उस संगीत में इस्तेमाल होने वाली रचना। मैं तो संकटमोचन के दरबार में सुनाने नहीं यहां आने वाले कलाकारों को सुनने आता हूं।
संकट मोचन के मंच पर प्रस्तुति देना हर कलाकार की ख्वाहिश
रस्म पगड़ी के बाद पहली बार संकट मोचन संगीत समारोह में प्रस्तुति देने आए उस्ताद राशिद खां  के पुत्र अरमान खान ने कहा कि इस मंच पर प्रस्तुति देना हर कलाकार की ख्वाहिश होती है। मेरी आज की प्रस्तुति के वक्त बाबा ने जो सिखाया था वह दिमाग में था। उन्होंने कहा कि मैं तो इस काबिल भी नहीं हूं कि इतने बड़े मंच पर बैठ सकूं। एक खालीपन का लग रहा था लेकिन महसूस हो रहा था कि उनका हाथ सिर पर है। बाबा और संकट मोचन महाराज के आशीर्वाद से अपनी प्रस्तुति दे सका हूं।
अनूप जलोटा ने गायन की शुरुआत काशी  बदली, अयोध्या बदली अब मथुरा की बारी है… से की। इसके बाद जय बजरंग बली बोलो जय बजरंग बली… के बाद मेरे मन में राम तन में राम रोम रोम में राम… सुनाया तो दर्शक दीर्घा भी राम-राम के साथ करतलध्वनि करने लगी। इसके बाद उन्होंने जनता की मांग पर ऐसी लागी लगन मीरा हो गई मगन… जब गुनगुनाना शुरू किया, तो जनता भी उनके साथ मगन हो उठी। पूरा प्रांगण उनके सुर में सुर मिलाने लगा।
भजन सम्राट अनूप जलोटा ने कहा कि संगीत कोई भी हो कभी खराब नहीं होता है। संगीत में सिर्फ सात सुर ही होती हैं कोई आठवां सुर नहीं होता है। खराब होती है तो उस संगीत में इस्तेमाल होने वाली रचना। मैं तो संकटमोचन के दरबार में सुनाने नहीं यहां आने वाले कलाकारों को सुनने आता हूं।
संकट मोचन के मंच पर प्रस्तुति देना हर कलाकार की ख्वाहिश

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