भगवान शंकर की नगरी काशी में “रघुकुल चला राम के द्वार” एल्बम का लोकार्पण, बालकदास जी ने किया
अयोध्या में भगवान राम के विराजमान होने के बाद प्रथम दीपावली पर भगवान शंकर की नगरी काशी में “रघुकुल चला राम के द्वार” एल्बम का लोकार्पण, बालकदास जी ने किया
वाराणसी।अयोध्या में भगवान राम के भव्य मंदिर के लोकार्पण के पश्चात प्रथम दीपावली के एक दिन पूर्व भगवान शंकर की नगरी काशी में उनके परम भक्त हनुमान जी महाराज की जयंती पर ” रघुकुल चला राम के द्वार” एल्बम की लॉन्चिंग पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर महंत बालक दास ने बुधवार को मध्यान्ह में बटन दबाकर किया । मिर्जापुर बसही स्थिति चंद्र वाटिका लान में आयोजित भव्य
समारोह में बतौर मुख्य अतिथि श्री बालक दास ने कहा कि राष्ट्र की सही तस्वीर समाज के सामने लाने उसे सचेत करने के लिए यह एल्बम बहुत सामयिक एवं प्रासंगिक है।
उन्होंने कहा कि कमल के माध्यम “रघुकुल चला राम के द्वार” के लेखक वरिष्ठ पत्रकार डॉ० अरविंद सिंह व उसे स्वर प्रदान करने वाले संगीतकार श्री राजन तिवारी ने भजन के माध्यम से इतिहास को दोहराया है। पहले भी लिखनी, गीत, संगीत व भजनों के माध्यम से राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिए अलग जागाई गई है थी, आज राष्ट्र की एकता- अखंडाता के लिए यह प्रयास सराहनीय है।
श्री बालकदास ने चिंता व्यक्त की कि आज के नौनिहाल व युवा पीढ़ी को शिक्षा तो मिल रही है, पर वे सनातन संस्कृति व संस्कारों से कट रहे हैं इसकी वजह से माता-पिता का स्वयं नौनिहालों के दादा-दादी से दूर रहना है, जिसके कारण वे किस्सा, कहानियां के माध्यम से सनातन संस्कार से दूर रहे तो वे बच्चों को क्या सिखाएंगे। बहुत से लोग डॉक्टर, इंजीनियर, अधिकारी तो बन गए हैं, पर संस्कारों से दूर हैं। हमें उम्मीद है कि इस एल्बम से समाज को सजग करने में मदद मिलेगी।
बतौर विशिष्ट अतिथि हिंदू युवा वाहिनी ( यूपी) के प्रमुख नेता श्री अम्बरीश सिंह “भोला” ने कहा कि श्री हनुमंत कृपा से ही यह एल्बम तैयार हुआ है, जो मां भारती के बच्चों को सही राह दिखाएगा।
आचार्य जगदीश्वर दास जी महाराज ने कहा कि हिंदू अब भी नहीं जगे और बटे रहे तो उन्हें कटने से कोई बचा नहीं सकता। इतिहास साक्षी है दशकों पूर्व भी यह कार्य बहुत हुआ था पर उसपर ध्यान न देने से लंबे समय तक हम गुलाम रहे और यातनाएं सही।
समारोह की अध्यक्षता कर रहे यू. पी. कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉक्टर रमेश प्रताप सिंह ने कहा कि डॉक्टर अरविंद सिंह ने रघुकुल की परंपरा को आगे बढ़ाया है। समय है समाज के संगठित और सक्रिय होने का अन्यथा आने वाली पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेगी।
प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत करते हुए गीत के लेखक डॉक्टर अरविंद सिंह ने कहा कि “रघुकुल चले राम के द्वार” हमने नहीं लिखा है श्री हनुमान महाराज ने हम हमसे लिखवाया है हम जैसा प्रभु की प्रेरणा हो रही है वैसा कर रहे हैं। हमारा प्रयास समाज को जोड़ने का है, राष्ट्र को एक रखने का है।
इस अवसर पर रणविजय सिंह, श्री सुधीर, श्री देवेंद्र प्रताप सिंह, श्री राजेंद्र कुमार दूबे, डॉक्टर अशोक सिंह, श्री अंबिका सिंह, संजीव सिंह, सुश्री दीपा सिंह, किरण सिंह सहित बड़ी संख्या में विशिष्टजन उपस्थित थे। संचालक डॉ संजय सिंह गौतम ने किया।