विकसित कृषि संकल्प अभियान” के तहत कृषि राज्यमंत्री श्री रामनाथ ठाकुर ने किया वाराणसी का दौरा

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भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री, श्री रामनाथ ठाकुर ने 11 और 12 जून को वाराणसी ज़िले का दो दिवसीय दौरा किया। यह दौरा कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा “विकसित कृषि संकल्प अभियान” के तहत किया गया, जिसका उद्देश्य भारतीय कृषि का आधुनिकीकरण व किसानों से सीधा सम्पर्क साधकर आधुनिक तकनीकों एवं सतत कृषि प्रथाओं प्रोत्साहन करना है।

भा.कृ.अनु.प.-भारतीय सब्ज़ी अनुसंधान संस्थान और अंतर्राष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान – दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (आइसार्क) ने मिलकर किसानों को धान की सीधी बुआई की तकनीक और जलवायु अनुकूल खेती की विधियों को प्रदर्शित किया ।

कृषि राज्यमंत्री श्री रामनाथ ठाकुर जी ने दौरे के पहले दिन वाराणसी के पनियारा गाँव में प्रगतिशील किसान श्री लल्लन दूबे के खेत का दौरा किया। वहाँ उन्होंने देखा कि 26 मई को डीएसआर विधि से बोया गया धान खेत में कैसे विकास कर रहा है। आइसार्क के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आर. के. मलिक और डॉ. एंथनी ने धान की सीधी बुआई की विशेषताओं को समझाया। उन्होंने बताया कि इस विधि से सीधे बीज बोने से पानी की बचत होती है और मजदूरी कम लगती है, जिससे किसानों का खर्च घटता है और खेती आसान होती है। इस तकनीक से मशीन द्वारा एक जैसी दूरी पर बीज बोने की सुविधा होती है, जिससे निराई-गुड़ाई भी आसान हो जाती है। इस वर्ष खरीफ में, आइसार्क और उत्तर प्रदेश सरकार ने संयुक्त रूप से वाराणसी और गोरखपुर मंडल के आठ जिलों में 200 हेक्टेयर भूमि पर डीएसआर के क्लस्टर प्रदर्शन का आयोजन करेंगे।

खेत में प्रदर्शन के दौरान श्री ठाकुर ने किसानों से बात-चित की और देखा कि वे डीएसआर को अपना रहे हैं और इस विधि से कैसे उन्हें पानी मे बचत, लागत में कमी और कम मेहनत में फसल की अच्छी पैदावार मिल रही है। इससे पर्यावरण को भी फायदा हो रहा है क्योंकि इससे मीथेन जैसी ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन कम होता हैं।

उन्होंने किसानों से बातचीत की और उनकी समस्याएँ सुनी तथा अपने संबोधन में वैज्ञानिकों से कहा कि वे सीधे खेत में जाकर किसानों का मार्गदर्शन करें। उन्होंने अपने संबोधन में जिक्र किया कि प्रधानमंत्री जी ने भी वैज्ञानिकों से पूछा था कि कम पानी में धान कैसे उगाया जाए। इसके उत्तर में वैज्ञानिकों ने बताया कि डीएसआर एक ऐसी तकनीक है, जिससे 30 प्रतिशत तक पानी की बचत हो सकती है। मंत्री महोदय ने आइसार्क को भी धन्यवाद दिया कि जिन्होंने ऐसी वैज्ञानिक तकनीकों को किसानों तक पहुँचाने में अहम भूमिका निभाई है।

पहले दिन के दौरान पनियारा के कार्यक्रम के समापन के दौरान आइसार्क के वरिष्ट वैज्ञानिक डॉ. आर. के. मलिक ने धन्यवाद ज्ञापन देते हुए कहा  “किसानों की समस्याओं पर विशेष बैठक हुई और अधिकारियों ने समाधान का आश्वासन भी दिया। माननीय मंत्री जी ने धैर्यपूर्वक किसानों की बातें सुनीं और उनकी भलाई के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। हम डीएसआर जैसी टिकाऊ तकनीकों को क्षेत्र में फैलाने में उनका सहयोग पाकर आभारी हैं।”

दौरे के दूसरे दिन, 12 जून को, श्री रामनाथ ठाकुर जी ने कृषि विज्ञान केंद्र, वाराणसी में “विकसित कृषि संकल्प अभियान” का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने वैज्ञानिकों, कृषि अधिकारियों और किसानों के साथ चर्चा की। उन्होंने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र और आइसार्क जैसे संस्थान नवाचारी खेती के प्रयासों को गाँव-गाँव तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। साथ ही, उन्होंने डीएसआर जैसी उपयोगी तकनीक को धान उत्पादक क्षेत्रों में और अधिक फैलाने की आवश्यकता पर जोर दिया। मंत्री जी ने आइसार्क के प्रदर्शनी स्टॉल का भी दौरा किया, जहाँ उन्होंने जलवायु अनुकूल धान की किस्में, पोषक तत्वों से भरपूर चावल उत्पाद, और छोटे किसानों के लिए खास तकनीकों का अवलोकन भी किया। उन्होंने आइसार्क की सतत प्रयासों की सराहना की, जो स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार व्यावहारिक समाधानों को प्रदर्शित क्रर रहे हैं।

भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी के निदेशक डॉ. राजेश कुमार ने दौरे के दूसरे दिन के कार्यक्रम समापन पर धन्यवाद देते हुए कहा कि आइसार्क और उसकी टीम ने इस कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने सतत खेती को बढ़ावा देने के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की और कहा, “हम उनके आभारी हैं।”

अंत में, कृषि राज्यमंत्री महोदय ने दोहराया कि भारत सरकार जलवायु अनुकूल खेती को बढ़ावा देने, लागत घटाने और किसानों की आजीविका सुधारने के लिए निरंतर कार्यरत है।

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