काशी तमिल संगम 3.0: शैक्षणिक सत्र में नई शिक्षा नीति, मातृभाषा, संगम साहित्य और विकसित भारत पर हुई विशेष चर्चा
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वाराणसी, 16 फरवरी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में काशी तमिल संगम 3.0 के अंतर्गत आयोजित हो रहे बौद्धिक कार्यक्रमों की श्रंखला में रविवार को विशेष शैक्षणिक सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें विद्वानों, शिक्षकों, लेखकों और विद्यार्थियों ने नई शिक्षा नीति, मातृभाषा, संगम साहित्य और विकसित भारत जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विचार-विमर्श किया।
इस अवसर पर शिक्षक, विद्यार्थियों और लेखकों के 205 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने भारत कला भवन का भ्रमण किया। वहां उन्होंने भव्य पेंटिंग गैलरी, मूर्तिकला गैलरी, और मालवीय गैलरी का अवलोकन किया। इसके बाद प्रतिनिधिमंडल ने आईआईटी-बीएचयू परिसर का दौरा किया, जहां सदस्यों ने अनुसंधान, नवाचार, खेल संरचनाओं और अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं को देखा। प्रतिनिधिमंडल में तंजावुर विश्वविद्यालय, पांडिचेरी विश्वविद्यालय और भारती दास कॉलेज के छात्र शामिल थे। सभी अतिथियों का स्वागत बीएचयू के उपनिदेशक डॉ. निशांत द्वारा किया गया। इस दौरान छात्र अधिष्ठाता प्रो. अनुपम कुमार नेमा, सहायक क्यूरेटर डॉ. अनिल कुमार सिंह, डॉ. डी. बी. सिंह तथा दीपक भारतन ने अतिथियों का मार्गदर्शन किया।
तत्पश्चात पंडित ओंकार नाथ ठाकुर सभागार में आयोजित विशेष शैक्षणिक सत्र में विद्यार्थियों, शिक्षकों और लेखकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस सत्र के मुख्य वक्ताओं ने विभिन्न विषयों पर महत्वपूर्ण विचार रखे। आईआईटी-बीएचयू के प्रो. आर. के. मिश्रा ने बताया कि नई शिक्षा नीति 2020 मातृभाषा में शिक्षा की अहमियत को रेखांकित करती है। उन्होंने इस दिशा में हो रहे कार्य की चर्चा की।
प्रो. आनंदवर्धन शर्मा ने काशी और तमिल नाडू के ऐतिहासिक संबंधों की चर्चा की। उन्होंने महान कवि सुब्रमण्य भारती, पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम समेत तमिलनाडु के अनेक महान व्यक्तियों के जीवन व योगदान की चर्चा की और बताया कि उनके कार्य ने देश को एक सूत्र में पिरोने में भूमिका निभाई। प्रो. शर्मा ने स्थानीय भाषाओं में शैक्षणिक सामग्री तैयार करने के महत्व को रेखांकित किया।
आईआईटी-बीएचयू से शोध करने वाले डॉ. एस. अरुल ने विकसित भारत 2047 की परिकल्पना, आर्थिक विकास और सुशासन (गुड गवर्नेंस) पर अपने वक्तव्य में युवाओं की भूमिका की चर्चा की।
वाराणसी की शिक्षिका डॉ. रचना शर्मा ने बताया कि कैसे उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उच्च शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे सुधारों और योजनाओं से राज्य में शिक्षा क्षेत्र को नई रफ्तार मिल रही है। इनमें 73 नए कॉलेजों, 3 नए विश्वविद्यालयों की स्थापना और उच्च शिक्षण प्रोत्साहन निधि प्रमुख हैं।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की छात्रा समाख्या पांडा ने काशी और तमिलनाडु के ऐतिहासिक संबंधों पर उद्गार व्यक्त किये। उन्होंने बताया कि बीएचयू में हो रहा नवाचार व अनुसंधान देश की उन्नति में योगदान दे रहा है। डॉ. नागेंद्र सिंह ने ऋषि अगस्त्य के जीवन और इस वर्ष की संगमम की थीम पर अपने विचार रखे।
सत्र के अंत में तमिलनाडु से आए प्रतिनिधियों ने भी अपने अनुभव व विचार साझा किये। अरुण वेंकट ने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का आभार जताया कि उनके दूरदर्शी नेतृत्व से काशी तमिल संगमम जैसा भव्य कार्यक्रम हो रहा है और जिसके तहत प्रतिभागियों को वह अनुभव करने का अवसर मिला, जिसे वे केवल सुनते आए थे। शिक्षिका भाग्यलक्ष्मी जी ने कहा कि काशी तमिल संगमम में वे जो देख सुन रही हैं उसे अपने विद्यार्थियों के साथ भी साझा करेंगी। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” की परिकल्पना को साकार कर रहा है।