भगवान की आरती उतारी,डोली उठाने की होड़

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वाराणसी। चराचर जगत के पालनहार भगवान जगन्नाथ स्वस्थ होने के बाद शनिवार को भाई बलभद्र,बहन सुभद्रा के साथ पालकी में सवार होकर मनफेर के लिए काशी में शहर भ्रमण के लिए निकले। पालकी में सवार भगवान के विग्रह की एक झलक पाने के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। विशाल डमरूओं की गड़गड़ाहट और जय जगन्नाथ के उद्घोष से पूरा मंदिर परिसर गूंज उठा। भक्तों के प्रेम में बीमार पड़े भगवान जगन्नाथ पखवारे भर बाद शुक्रवार को स्वस्थ हुए।
शनिवार अपरान्ह में अस्सी स्थित जगन्नाथ मंदिर में भगवान की डोली सजाई गई। साढ़े तीन बजे श्रद्धालुओं ने मंदिर के पुजारी पं. राधेश्याम पांडेय की देखरेख में भगवान जगन्नाथ की डोली का शृंगार किया। इसके बाद गाजे-बाजे के साथ भगवान जगन्नाथ,भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की आरती उतारी गई। भगवान की डोली को लाल वस्त्र और रंग बिरंगे फूलों से सजाया गया । इसके बाद मंदिर के गर्भगृह की परिक्रमा कर डोली यात्रा निकाली गई। इस दौरान ढोल-तासा, बैंड-बाजा और शहनाई की धुन,जयकारे के बीच डोली यात्रा निकाली गई। भक्तों ने अपने कंधे पर डोली को उठाया।
डोली यात्रा मंदिर परिसर से होते हुए अस्सी चौराहा, पद्मश्री चौराहा, दुर्गाकुंड होते हुए नवाबगंज, खोजवां बाजार, शंकुधारा पोखरा, बैजनत्था होते हुए रथयात्रा स्थित बेनीराम बाग पहुंची। इस दौरान जगत के पालनहार भगवान जगन्नाथ की डोली उठाने के लिए भक्तों में होड़ सी मची रही। पूरे श्रद्धाभाव के साथ श्रद्धालु नाचते गाते जयकारा लगाते हुए चल रहे थे। यात्रा मार्ग में जगह-जगह भगवान की आरती उतारी गई। भगवान अपनी मौसी के यहां परंपरानुसार रामबाग रथयात्रा जाते हैं। यहां रात भर विश्राम कर भगवान मौसी के परिजनों से मिलते हैं।
मध्य रात्रि में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की काष्ठ प्रतिमाओं को रथयात्रा चौराहे पर पहले से विराजमान विशाल सुसज्जित रथ पर विराजमान किया जाएगा। इसी के साथ रविवार तड़के से विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा मेला शुरू हो जाएगा।

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