कला जीवनोपयोगी एवं समाजोपयोगी है

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वाराणसी । कला केवल कला के लिए नहीं बल्कि कला जीवन के लिए है। कला जीवन से आबद्ध है। कला समाज को जीवन देती है। कला जीवनोपयोगी एवं समाजोपयोगी है। हमारे व्यक्तित्व विकास ही नहीं बल्कि समाज और राष्ट्र निर्माण में भी कला की भूमिका महत्त्वपूर्ण है।
ये विचार सुप्रसिद्ध चित्रकार एवं महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ दृश्य कला विभागाध्यक्ष प्रो. सुनील विश्वकर्मा ने प्रमुख सामाजिक-सांस्कृतिक संस्था नव भारत निर्माण समिति के तत्वावधान में सिद्धूपुर, शिवपुर स्थित ऋषिव वैदिक अनुसंधान, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र के प्रांगण में आयोजित त्रिदिवसीय चित्रकला प्रतियोगिता एवं कार्यशाला में व्यक्त किये।
वक्ताओं ने इस आयोजन को महत्त्वपूर्ण एवं आवश्यक बताते हुए कहा कि बच्चों, किशोरों एवं युवाओं को चाहे वे किसी भी अनुशासन एवं विधा की पढ़ाई कर रहे हों उनके लिए कला की समझ और उससे लगाव-जुड़ाव जरूरी है।
नव भारत निर्माण समिति के सचिव बृजेश सिंह ने अतिथियों एवं प्रतिभागियों को इन्हें पंख दें अभियान के बारे में सविस्तार जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि यह अभियान तथा कार्यशाला विद्यार्थियों के सम्पूर्ण व्यक्तित्व विकास के लिए है।
चित्रकला एक ऐसी रचनात्मक अभिव्यक्ति है जो जीवन को अपनी सर्जनात्मकता से
सुंदर बनाने का उपक्रम करती है।
जीवन कैसे सुंदर और सार्थक बने यह कला की ही उड़ान और अभिव्यक्ति है।
उन्होंने बताया कि यह कार्यशाला 19 जून से प्रारम्भ होकर अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून तक आयोजित किया जा रहा है। पूर्वांचल के 16 जिलों के 10 लाख से अधिक विद्यार्थियों पर केंद्रित “इन्हें पंख दें” अभियान के अंतर्गत किया जा रहा है।
कार्यशाला के पहले दिन कार्यक्रम का शुभारंभ संयुक्त निदेशक, ट्रेजरीज व पेंशन आत्मधर प्रकाश द्विवेदी, अंतर्राष्ट्रीय चित्रकार एवं विभागाध्यक्ष दृश्य कला ,महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ प्रो. सुनील विश्वकर्मा, राजकीय पुस्तकालयाध्यक्ष कंचन सिंह परिहार एवं प्रसिद्ध गीतकार प्राचार्य अशोक सिंह ने किया।
संचालन नव भारत निर्माण समिति के सचिव बृजेश सिंह
ने किया।
इस अवसर पर आर्ट क्यूरेटर
राजेश सिंह, डाॅ अपर्णा, कला अध्यापिका एवं चित्रकार
डाॅ गीतिका एवं शालिनी, प्रवक्ता मुकेश सिंह, सतीश वर्मा, धर्मेंद्र कुमार, योग प्रशिक्षक प्रणव पाण्डेय, कमलदीप , ममता आदि की सक्रिय उपस्थिति एवं भागीदारी रही।
चित्रकला प्रतियोगिता एवं कार्यशाला में कुल 57 प्रतिभागी सम्मिलित हुए।
आरंभ में कार्यशाला का शुभारंभ अतिथियों ने माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीपदान कर किया।
चित्रकला प्रतियोगिता के प्रथम 10 कला-कृति के लिए नगद पुरस्कार भी रखे गए हैं ।
सभी प्रतिभागियों को प्रशस्तिपत्र भी दिए जाएंगे।
प्रतियोगिता एवं कार्यशाला की थीम “भारतीय संस्कृति एवं योग है।” प्रतिभागियों को पेंटिंग कलर और पेपर भी संस्थान द्वारा दिए गए।

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