स्टार्टअप, नवाचार, एडुटेक और अनुसंधान पर केंद्रित केटीएस अकादमिक कार्यक्रम में विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं ने साझा किए विचार

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वाराणसी। काशी तमिल संगमम काशी और कांची के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के विभिन्न पहलुओं पर संवाद और चर्चा को निरंतर प्रोत्साहित कर रहा है। सोमवार को बीएचयू के पं. ओंकारनाथ ठाकुर प्रेक्षागृह में आयोजित एक विशेष अकादमिक कार्यक्रम में स्टार्टअप, नवाचार, एडुटेक और अनुसंधान से संबंधित विषयों पर गहन विचार-विमर्श हुआ।

डॉ. गोवरी बालाचंदर (आईआईटी बीएचयू) द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में भारत के बढ़ते अनुसंधान तंत्र, नवाचार-आधारित पहलों और शिक्षा पर सरकारी नीतियों के परिवर्तनकारी प्रभावों पर चर्चा की गई।

डॉ. दीपिका कौर, प्रबंध संस्थान, बीएचयू ने भारत सरकार द्वारा शिक्षा क्षेत्र को सशक्त बनाने के प्रयासों पर प्रस्तुति दी। उन्होंने बताया कि भारत में 1.5 मिलियन से अधिक स्कूलों और उच्च शिक्षा संस्थानों के विशाल नेटवर्क के साथ दुनिया की सबसे बड़ी और विविध शैक्षिक प्रणालियों में से एक है। हालांकि, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच शिक्षा की गुणवत्ता में असमानता एक चुनौती बनी हुई है, जिसे डिजिटल परिवर्तन द्वारा दूर किया जा सकता है। उन्होंने इस अंतर को कम करने और सीखने के अवसरों को बढ़ाने के लिए विभिन्न सरकारी पहलों का उल्लेख किया। साथ ही, SPARC, IMPRINT, FIST, NIRF और PMRF जैसी प्रमुख अनुसंधान और नवाचार योजनाओं पर प्रकाश डाला, जो अकादमिक और तकनीकी उन्नति को बढ़ावा दे रही हैं। डॉ. कौर ने केंद्रीय बजट 2025 की प्रमुख घोषणाओं का भी उल्लेख किया, जिसमें अगले पांच वर्षों में सरकारी स्कूलों में 50,000 अटल लैब्स की स्थापना, आईआईटी की क्षमता का विस्तार, और उभरती प्रौद्योगिकियों को समर्थन देने के लिए डीपटेक फंड के सृजन की बात कही गई है।

प्रो. राजकिरण, प्रबंध संस्थान, बीएचयू ने अटल इनक्यूबेशन सेंटर (AIC) और महामना फाउंडेशन फॉर इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप की यात्रा पर चर्चा की। उन्होंने स्टार्टअप्स और अनुसंधान-आधारित उद्यमों को बढ़ावा देने में इन केंद्रों की भूमिका को रेखांकित किया। साथ ही, बीएचयू के संस्थापक पं. मदन मोहन मालवीय जी और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के सामाजिक उद्यमिता में योगदान को भी उजागर किया। उन्होंने बीएचयू में नवाचार, इंफ्रास्ट्रक्चर विकास और युवा उद्यमियों को सशक्त बनाने की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।

श्री एस.के. बरनवाल, अपर सचिव, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार ने अनुसंधान और नीति-आधारित शिक्षा सुधारों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 की भूमिका को रेखांकित किया, जिसने भारत की शिक्षा प्रणाली को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए मजबूत बनाया है। उन्होंने बताया कि अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (Anusandhan National Research Foundation) को ₹50,000 करोड़ की राशि आवंटित की गई है, जिससे उच्च शिक्षा में अनुसंधान को बढ़ावा दिया जाएगा। श्री बरनवाल ने स्वास्थ्य, कृषि और सतत शहरों पर केंद्रित तीन उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना की घोषणा की। उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा शिक्षा क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) पर उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना संबंधी बजट 2025 की घोषणा का भी उल्लेख किया, जो एआई-संचालित शिक्षण समाधानों को बढ़ावा देगा।

इसके बाद, शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों द्वारा प्रस्तुतियाँ दी गईं:

डॉ. पन्नीर सेल्वम पेरुमैयन, अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान – उन्होंने ICARC में विकसित अत्याधुनिक सुविधाओं और कृषि अनुसंधान में हुई प्रगति के बारे में जानकारी दी।

डॉ. धनंजय सिंह, प्रधान वैज्ञानिक, भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान – उन्होंने भारत को विश्व में सब्जियों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक बताया और कहा कि सब्जी क्षेत्र कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और आजीविका प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
शोधार्थी कैलाश वर्मा, भौतिकी विभाग, बीएचयू – उन्होंने अंतरिक्ष अभियानों में इलेक्ट्रॉन प्रभाव के तहत अंतरिक्ष यान की सतह सामग्री पर किए गए अपने प्रायोगिक अनुसंधान को प्रस्तुत किया।
डॉ. प्रीतम सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर, सेरामिक इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी बीएचयू – उन्होंने जल-आधारित बैटरियों, हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था और वैकल्पिक ऊर्जा प्रौद्योगिकियों पर चर्चा की।
कार्यक्रम में एक सजीव संवाद सत्र भी आयोजित किया गया, जिसमें राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (NIOS), इंजीनियरों के लिए रोजगार के अवसर और नई सब्जी किस्मों के विकास से संबंधित चर्चाएँ हुईं।
कार्यक्रम का समापन प्रो. शनमुगा सुंदरम द्वारा औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें उन्होंने वक्ताओं, आयोजकों और प्रतिभागियों का उनकी सहभागिता और मूल्यवान योगदान के लिए आभार व्यक्त किया।
इस कार्यक्रम ने भारत की शिक्षा और अनुसंधान तंत्र को सुदृढ़ करने की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया, यह सुनिश्चित करते हुए कि देश वैश्विक नवाचार और तकनीकी प्रगति के क्षेत्र में अग्रणी बना रहे।

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