धर्म पर जब भी संकट आता है तो प्रभु लेते हैं मनुष्य अवतार
धर्म पर जब भी संकट आता है तो प्रभु लेते हैं मनुष्य अवतार
वाराणसी। श्री संकट मोचन मंदिर में हनुमान जयंती के अवसर पर चल रहे तीन दिवसीय सार्वभौम रामायण सम्मेलन के तीसरे एवं अंतिम दिन आरा (बिहार) से पधारे कथा व्यास आचार्य भारत भूषण पाण्डेय ने कहा कि राम सृष्टि के मूल तत्व है और रामायण उसका साकार स्वरूप है। मां सीता प्रभु श्री राम की शक्ति है, इन दोनों में कोई भिन्नता नहीं है। धर्म पर जब भी संकट आता है तो प्रभु मनुष्य अवतार लेते हैं। गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस में लिखा है विप्र, धेनु, सुर, संत हित लियो मनुज अवतार अर्थात गौ, वेद, संत महात्मा, सतीत्व पर जब भी संकट आया प्रभु ने मनुष्य रूप मे अवतार लिया है।
आचार्य रामकृष्ण तिवारी ने कहा कि मनु ने जब भगवान से उनके सामान पुत्र की कामना की तो प्रभु परम प्रसन्न होते हुए कहे कि मुझे भी एक पिता की आवश्यकता है क्योंकि नारद जी के श्राप के कारण उन्हें नर स्वरूप में पृथ्वी पर जन्म लेना ही है और आपसे उत्तम पिता और कौन हो सकता है। कथा व्यास सच्चिदानंद त्रिपाठी ने हनुमान जी की महिमा का बखान करते हुए कहा कि हनुमान जी गुणों की खान है। वे अष्ट सिद्धि और नव निधि के दाता है। उन्होंने कहा कि प्रभु के नाम जप की बहुत महिमा है, राम नाम का स्मरण करने से विभीषण पर प्रभु कृपा हुई तो वही निषाद राज को सिद्धि की प्राप्त हुई। उन्होंने कहा कि हनुमान चालीसा के पाठ में सर्वस्व समाहित है। डॉक्टर चंद्रकांत चतुर्वेदी ने कहा कि रामचरितमानस अद्भुत ग्रंथ है जिसे हमें तुलसीदास जी के समान भाव से ही पढ़ना चाहिए, मानस हमें जीवन जीने की कला सिखाता है, जिसमें हर समस्याओं का विवरण और उसका समाधान दोनों है। उनके अलावा पारस पाण्डेय, धर्म प्रकाश मिश्रा, पण्डित नंदलाल उपाध्याय आदि ने भी विचार रखें। संचालन पण्डित राघवेंद्र पाण्डेय ने किया। अंत मे महंत प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र ने व्यासपीठ की आरती किया। इस मौके पर मुख्य रूप से विजय बहादुर सिंह, विश्वनाथ यादव, अशोक पाण्डेय, संदीप पाण्डेय आदि।उपस्थित रहे।